Sunday, 9 December 2018

भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब

भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब
कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है

~अहमद फ़राज़

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